
नाग पंचमी: सिर्फ एक त्योहार नहीं, एक आध्यात्मिक अनुभव - जानिए नागवंश की रहस्यमयी कहानी!
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From Team Kedar Darshan - Nag Panchami 2025 Special
इस बार नाग पंचमी का पर्व 29 जुलाई 2025, मंगलवार को मनाया जा रहा है। इस दिन सांपों की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलने की मान्यता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण, कर्कोटक नाग और कालिया नाग की कहानियों का नाग पंचमी से गहरा नाता है?
नाग पंचमी: सिर्फ एक त्योहार नहीं, एक आध्यात्मिक अनुभव
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला नाग पंचमी पर्व, भारत के कई हिस्सों में सांपों को समर्पित पूजा का दिन है। लोग दूध, फूल और भोग अर्पित कर नागों को प्रसन्न करते हैं।
उन्नाव के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य ऋषिकांत मिश्र शास्त्री बताते हैं कि इस दिन विशेष पूजा से ना सिर्फ नागों का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष भी शांति को प्राप्त करता है।
नागों की उत्पत्ति और नागवंश की कथा
हमारे धर्म ग्रंथों में नागों का विस्तार से उल्लेख किया गया है। शेषनाग, वासुकि, तक्षक, महापद्म, शंखपाल, और कालिया जैसे नाग, सिर्फ सांप नहीं बल्कि अद्भुत ऊर्जा और दिव्यता के प्रतीक माने जाते हैं।
कर्कोटक नाग: शिव के गण और महाकाल वन के रक्षक
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कर्कोटक नाग भगवान शिव के गण माने जाते हैं। एक बार सर्पों की माता कद्रू ने नागों को यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया था। इस भय से कई नाग तपस्या के लिए अलग-अलग स्थानों पर चले गए।
- कंबल नाग ब्रह्मलोक
- शंखचूड़ मणिपुर
- कालिया नाग यमुना
- धृतराष्ट्र नाग प्रयाग
- और कर्कोटक नाग महाकाल वन में तप करने लगे।
कर्कोटक ने महामाया के सामने शिवलिंग की स्तुति की। भगवान शिव प्रसन्न हुए और वरदान दिया – "जो धर्माचरण करेगा, उसका कभी नाश नहीं होगा।" इसके बाद कर्कोटक शिवलिंग में समा गए और वही लिंग कर्कोटेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
मान्यता है कि पंचमी, चतुर्दशी या रविवार को कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करने से सर्प पीड़ा नहीं होती।
कालिया नाग और श्रीकृष्ण की अद्भुत लीला
श्रीमद्भागवत के अनुसार, कालिया नाग यमुना नदी में अपने परिवार के साथ रहता था। उसका विष इतना शक्तिशाली था कि यमुना का जल भी ज़हरीला हो गया था।
जब भगवान श्रीकृष्ण को यह ज्ञात हुआ, तो उन्होंने लीलावश यमुना में छलांग लगा दी और कालिया नाग से युद्ध किया। यह युद्ध भयंकर था, पर अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया।
कालिया नाग की पत्नियाँ श्रीकृष्ण के चरणों में गिरीं और अपने पति की रक्षा की प्रार्थना की। श्रीकृष्ण ने दया दिखाई और कहा,
"अब तुम सब यमुना को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर निवास करो।"
इसके बाद कालिया नाग परिवार सहित यमुना छोड़कर चला गया।
आज भी होती है इन नागों की पूजा
आज भी नाग पंचमी के दिन सिर्फ प्रतीकात्मक नागों की पूजा नहीं होती, बल्कि कंबल, शंखपाल, पद्म, महापद्म जैसे अनेक नागों की स्मृति में श्रद्धा अर्पित की जाती है।
नाग पंचमी क्यों है आज भी ज़रूरी?
हमारे जीवन में ऊर्जा संतुलन, प्रकृति के प्रति श्रद्धा, और संस्कारों की स्मृति बनाए रखने का सबसे सुंदर तरीका है ये पर्व।
यह सिर्फ डर या भय नहीं, बल्कि सांपों के साथ सह-अस्तित्व का प्रतीक है।
क्या करें नाग पंचमी पर?
✔️ घर में या मंदिर में नागों की प्रतीकात्मक मूर्ति पर दूध चढ़ाएं
✔️ Bhimseni Camphor (Kapoor) और धूपबत्ती जलाएं (Incense Sticks) – यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाता है
✔️ "ॐ नागदेवताभ्यो नमः" मंत्र का 108 बार जप करें
✔️ कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करें
Kedar Darshan की ओर से श्रद्धालुजनों को शुभकामनाएं!
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